Monday, February 19, 2024

निंदिया रानी

 निंदिया रानी नैनो में आ जा,

बिटिया को सपने सुहाने दिखा जा।


चंदा के झूले में परियों सी झूले,

सुंदर सजीले फूलों को छूलें।


महके हवाओं में खुशबू के जैसे,

सितारों की टिमटिम में दीपक जला जा।


शीतल हवाओं में पत्तों की सर-सर,

गाते पतंगों के मीठे मधुर स्वर।


निशा खिल रही है कमल खिल रहे हैं,

अंधेरा है सुंदर जग को सुना जा।


सूरज छुपा है न जाने कहाँ पर,

तू सोके जागे तो आए निकलकर।


सो जा बिटिया रानी सो जा,

निंदिया के आंचल में छुप कर सो जा।


-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'

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